रविवारीय प्रार्थना – बोध प्राप्त करना (बुद्ध नही 🤭)

आज का यह सन्देश केवल उन लोगों के लिए है जो बोध प्राप्त करना चाहते हैं (हमारे लिये बोध होना जितना जरूरी है उतना बुद्ध होना जरूरी नही है 🤭)

कल क्या था, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण यह है कि आज आप क्या सोचते हैं, क्या बोलते हैं, और क्या करते हैं। क्या आपके बोध, विचारों, नियत, नीतियों और कार्यों में कोई बदलाव आया है या नही? क्या आप को अब हर चीज़ में परमात्मा का दर्शन होता है, चाहे वो कितनी भी अप्रिय या भिन्न क्यों न हो? क्या अब आप को अपने आस पास सब में परमात्मा दिखाई पड़ने लगा है उनमे भी जिनसे आप की नही बनती और उनमें भी जो आपके अपराधी हैं। क्या सब प्रीतिकर हो गया है? क्या जीवन में सब कुछ शांतिपूर्ण,  प्रेमपूर्ण – उनका आशीर्वाद लगने लगा है?

मैं याद दिला दूँ की पुनर्जन्म के लिए सिर्फ़ शरीर का त्याग ही ज़रूरी नहीं है। कई बार विचारों में, आदतों, अपनी प्राथमिकताओं और दैनिक जीवनशैली में बदलाव या बोध जागृत होने से भी पुनर्जन्म हो जाता है।

हमारे धार्मिक ग्रंथों में अनेक कहानियां और उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि हम सब एक स्तर पर पशु हैं और दूसरे स्तर पर दैवीय गुणों से युक्त भी। असल में, पशुता से प्रभुता तक का ये सफर एक विकास का क्रम है, जो निरन्तर चलता रहता है।

आज के युग में, जहाँ छोटे-छोटे बच्चे भी बहुत कुछ (लगभग सब कुछ 🤭) जानते हैं, बोध और जागरूकता की बहुत कमी है। जब जीवन में बोध आता है, तभी हमें महान ग्रंथों में लिखी बातों का यथार्थ भाव समझ आता है। बोध होने से ही हम स्वयं को रूपांतरण के लिए तैयार कर पाते हैं, अपनी दुष्प्रवृत्तियों को सत्प्रवृत्तियों में बदल पाते हैं, अपने अंदर के देवत्व वाले सदगुणों का विस्तार कर पाते हैं और पशुता से प्रभुता तक का सफर शुरू कर पाते हैं।

अब जिसे बोध की तलाश है, उसे तो कहीं न कंही से मिल ही जाता है। लेकिन जिसे बोध की तलाश ही नहीं है, वह बुद्ध के वचनों को दिन रात भी सुनता रहे, ठीक बुद्ध के सामने बैठा भी रहे, तो भी कुछ नहीं प्राप्त कर पाता है। बांसुरी बजती रहती है, भैंस पगुराती रहती है; उसे कुछ मतलब नहीं है 🤫।

जीवन की जो भी घड़ी इस रूपांतरण और विकास के अवसर लाये, उस घड़ी का पूरा लाभ उठाना, अपने चिन्तन, रुझान, व्यवहार, कार्यशैली और दैनिक जीवनशैली का परिवर्तन, अनौचित्य का परित्याग और औचित्य को स्वीकार करने का हर दिन नये सिरे से छोटा बड़ा प्रयास तथा ईश्वर का निरन्तर स्मरण करना और उनका धन्यवाद करना ही प्रार्थना है।

आज मैं अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की जो भगवदीय क्षमताएँ, सौन्दर्य, श्रेष्ठतायें और उत्कृष्टता आप मे पहले से ही मौजूद हैं उनका विस्तार और प्रसार होना शुरू हो जाये, आपको अपने प्रत्येकं क्षण और प्रत्येक श्वास का जागरूकतापूर्वक उपयोग करना आ जाये तथा जल्द ही आपको पूर्ण बोध के साथ अध्यात्म-पथ पर चलना आ जाये।

इसी मंगलकामना के साथ साथ मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपको सब कुछ तेजी से प्राप्त हो – चिरस्थायी प्रसन्नता एवं सन्तोष, शान्तिपूर्ण तथा प्रशान्त परमानन्द की स्थिति के साथ साथ अपने पित्रों की और अपने आराध्य की प्रचुर कृपा भी। आपको शतायु, स्वस्थ और सानंद जीवन के लिए ढेर सारी मंगल शुभकामनाएं 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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