रविवारीय प्रार्थना – अपनी आत्मा को अंकुरित करना और उसके संपूर्ण विकास में लगे रहना।

मेरा अनुमान है कि आज का ये रविवारीय लेख आप को जीवन के सच्चे अर्थ और सार पर विचार करने के लिए प्रेरित करेगा।

इतना धन, बल, कुटुम्ब, कुशलता, चतुरता आदि विशेष विशेषताएँ रहते हुए भी यदि हमारा अन्तः करण प्रेमभाव, उदारता, आत्मीयता, सहदयता, सज्जनता से भरा हुआ नहीं है तो उसे ऐसा ही नीरस, निरर्थक जीवन समझना चाहिए जैसा बिना पानी का बादल ।

समय, संपत्ति, सत्ता और स्वस्थ शरीर जीवन के महत्वपूर्ण साधन हैं, परंतु यदि इनका उपयोग आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति के लिए नहीं किया जाता है, तो ये भी व्यर्थ हो जाते हैं।

मुझे ये समझ नही आता है कि हम सब इतने सशक्त, उन्नत और इतने प्रबुद्ध होकर भी केवल उतना ही क्यों करते रहते हैं जितना जानवर करते हैं?  वैसा ही जीवन क्यों व्यतीत करते हैं जैसा कोई साधारण पशु जीता है? क्या ये इस महान जीवन रूपी अवसर का दुरुपयोग नही है?

एक बात और जान लें कि मुझे इस बात से कतई कोई आपत्ति नही है कि आप अपना जीवन खाना, पीना, मौज उडाना, जलसा करने में बिता दें। मैं आज आपका ध्यान सिर्फ इस बात की और लाना चाहता हूं कि ये अति अति दुर्लभ मनुष्य जन्म अपने शुभ कर्मों और विचारों से कुछ खास बड़े लक्ष्यों को पूरा करने के लिये। ये मिला है अपनी आत्मा का विकास करने के लिये, ये मिला है, इस सृष्टि को पोषित करने लिये, अपने पूर्व जन्मों के कर्जों को उतारने के लिये, ब्रह्म जिज्ञासा पूरी करने के लिए, परम् सत्य तथा भगवान को समझने और उन्हें प्राप्त करने के लिए। नहीं तो ये जन्म पूर्ण होते ही छोटे, मोटे जीवजंतु वाली गति मे परिभ्रमण करना पडेगा। अगला मनुष्य जन्म कभी मिलेगा, कुछ भी पत्ता नहीं है। अभी भी, आप के पास पूरा पूरा समय है की आप हर पल वास्तविक आत्मपुरुषार्थ करते हुए अपना जीवन सफल और सार्थक बना लें।

इसीलिए अपनी बौद्धिकता, ताकत, ऊर्जा और जो समय हमें मिला है उसे अपने विवेकपूर्वक सत्कर्मो में लगाये रखना प्रार्थना है। अपने भावी जीवन को सुखमय बनाने का तथा अपने सुखद परिवेश के सृजन का निरन्तर प्रयास और उद्धम करते रहना ही प्रार्थना है। संशय, भ्रम और अज्ञान से मुक्ति तथा कुसंस्कारों के शमन और अपने अहंकार के निर्मूलन को अपनी पहली प्राथमिकता बनाना प्रार्थना है। अपनी आत्मा को अंकुरित करना और उसके संपूर्ण विकास में लगे रहना ही प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य देव से प्रार्थना है कि आपके बचे हुए समय का प्रत्येक क्षण जो सर्वोत्तम है और अमूल्य है उसे सही दिशा में खर्च करने की आपको समझ दें, सामर्थ्य दें। आपकी सोच, विचार और कर्म आपको श्रेष्ठता के सुभग शिखरों पर जल्द ही आरूढ़ कर दें तथा आपकी पूर्णता-श्रेष्ठता हासिल करने की तथा अपने आत्म- विकास की यात्रा सरस, सुंदर, रसमय तथा सुखमय हो जाये।

आप को शतायु, स्वस्थ और सार्थक जीवन के लिए ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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