रविवारीय प्रार्थना – पूरी तरह से अंकुरित, पल्लवित-पुष्पित एवं फलित होकर अपने भूमंडल को सुसज्जित करने का प्रयास।

आज एक बार पुनः ये बात जान लें कि आप सबसे ऊपर हो। क्योंकि आप अपने अंतस में छिपे परमात्मा हो। आप अपने भीतर छिपे दिव्य चेतना की ज्योति हो। आप एक बीज हो, जो समय आने पर, एक सुंदर फूल बन जायेगा। क्योंकि बीज में फूल और फल के अलावा क्या छुपा होता है। इसलिए न तो खाद का कोई मूल्य है, न मिट्टी का, न पानी का और न ही सूरज की किरणों का। इन सबका मूल्य केवल यही है कि किसी तरह से आपका बीज अंकुरित हो जाये, आपके भीतर छिपा हुआ दिव्यत्व प्रकट हो जाये और आपको परम चेतना का अनुभव हो जाये।

मैं केवल आपको काम की बात बता सकता हूँ, उन्हें बार बार याद दिला सकता हूँ, लेकिन उन्हें मानना या उस रास्ते पर चलना तो आपको ही पड़ेगा। पूरी तरह से  पल्लवित-पुष्पित हुए बगैर मानना मत – यही ईश्वर की इच्छा भी है। सृष्टि का एकमात्र उद्देश्य हमें वो बनने में सहायता करना है जो हम बनने के लिए आए थे, वो करने में मदद करना है जो हम करने के लिए आए थे। इसलिए व्यर्थ की बातों में उलझना व्यर्थ है। बस अपने बीज तत्व को अंकुरित होने दें, चाहे वो कैसे भी हो।

इसीलिये मेरा मानना है कि जितना समय हम ज्ञान इकट्ठा करने, मन, बुद्धि और अहंकार को संतुष्ट करने और अपने मनोरंजन में व्यर्थ करते हैं, अगर उसका एक चौथाई समय भी यदि हम साधारण और सरल सनातन सिद्धांतों को समझने और आत्मसात करने में लगा दें, तो हमारा जीवन आनंदमय हो जाएगा, हमारा बीज फल-फूलकर एक विशाल वृक्ष बन जाएगा, जो अपनी सुगंध, स्वाद और भव्यता से समस्त सृष्टि और परमात्मा को हमारे पास ले आएगा।

मेरे पास समय बर्बाद करने के लिए नहीं है – जैसे ही आप इस दृष्टिकोण से जीवन जीना शुरू करते हो, आश्चर्यजनक रूप से तुच्छ विचार, भावनाएं, आदतें, और गतिविधियां सूर्योदय के समय अंधकार की तरह दूर हो जाती हैं। इसीलिए अपनी बौद्धिकता, ताकत, ऊर्जा और जो समय हमें मिला है उसे अपने विवेकपूर्वक सत्कर्मो में लगाये रखना प्रार्थना है। अपनी आत्मा को अंकुरित करना और उसके संपूर्ण विकास में लगे रहना ही प्रार्थना है।

आज मैं अपने प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि उनकी कृपा सदैव आप पर बनी रहे जिससे आप पूरी तरह से अंकुरित पल्लवित-पुष्पित एवं फलित होकर यशवर्धित हों तथा अपने भूमंडल को सुसज्जित कर पायें तथा आप मे छुपी हुई सभी उच्च सम्भावनाएं साकार हो पायें।

आप को शतायु, स्वस्थ और सार्थक जीवन के लिए ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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