Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
हम सभी हर दिन अपने अपने रास्ते चल रहे हैं अपनी अपनी मंजिल की ओर। कुछ जा रहे हैं नरक की ओर और कुछ जा रहे हैं स्वर्ग की ओर 🤭। आज हम एक ऐसे गहन विचार पर विचार करेंगे जो आपके सोचने-समझने और जीवन जीने के नजरिए को बदल सकता है।
लेकिन मेरे आज के इस रविवारीय लेख में यह स्वर्ग और नर्क कोई भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि यह हमारी सोच और कर्मों का ही प्रतिबिंब है। यह जगत, जिसमें हम रहते हैं, बस एक है, और हम इसे स्वर्ग या नर्क बना सकते हैं, यह हमारे हाथों में है।
जीवन एक कोरी किताब की तरह है, और हम इस पर क्या लिखते हैं, यह पूरी तरह से हमारे ऊपर निर्भर करता है। हम इसे नकारात्मकता और पापों से भरा नरक बना सकते हैं, या सकारात्मकता, पुण्यों और प्रेम से भरा स्वर्ग बना सकते हैं।
ये सच है कि हम सब की जन्म से अपनी अपनी प्रकृति और स्वभाव है। लेकिन जैसे बबूल, बबूल है और बबूल ही रहेगा और आम, आम है और आम ही रहेगा…. ये बात और ये प्रकृति का विधान हम पर लागू नही होती है। मनुष्यों में क्षमता है कि वो बबूल हो कर भी आम के गुण और स्वभाव धारण कर सकते हैं 🤫
सब कुछ एक पल में बदल सकता है। बस देखने का, सोचने का दृष्टिकोण और कार्य करने का ढंग बदलने की जरूरत है। ये ढंग और दृष्टिकोण बदल जाये तो यहीं स्वर्ग प्रकट हो जाएगा, परमात्मा चारों तरफ प्रकट हो जायेगा और परमानंद प्राप्त हो जायेगा।
हम में से कौन ऐसा है जो ये नही जानता होगा कि सात्विक भाव एवं सकारात्मक सोच बनाये रखना और निरन्तर शुभ कार्य करना ही स्वर्ग का सुख और शांति प्राप्त करवाता है तथा दुर्भाव, नकारात्मकता एवं दुष्कर्म हमें अंततः नारकीय परेशानियों में धकेलते हैं??
प्रियवर, हम सब के मूल में स्वर्ग की स्वर्णिम आभा छुपी हुई है, हम सब शुद्ध, तेजस्वी, आनंदमय एवं प्रकाशवान पैदा हुए हैं। अपनी नैसर्गिक दिव्यता और क्षमता की उपेक्षा करने की बजाये, बस इन्हें दुबारा धारण करना है। अपने विवेक को जाग्रत कर इन्हें बारम्बार धारण करने का प्रयास ही प्रार्थना है। याद रखिए मनुष्य शुभ कार्य करके ही देव बनता है और केवल शुभ कार्य ही पूजे जाते हैं। इसीलिये पाशविक भावों, अनीति और अधर्म के विचार त्याग कर दैवी गुणों को अपनाना और शुभ कार्य करते रहना ही प्रार्थना है।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आपको अपनी अज्ञानता का, मूढ़ता, मूर्खता का जल्द ही आभास हो जाये जिससे आपके भाव, विचार, प्रकृति, स्वभाव और कार्य करने का ढंग और दृष्टिकोण बदल सके तथा आप इसी शरीर से इसी संसार मे रहते हुए ही देव पद प्राप्त कर स्वर्ग जैसे आनंद को प्राप्त कर सकें।
आप को शतायु, स्वस्थ और सार्थक जीवन के लिए ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं।
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।
