रविवारीय प्रार्थना – ईश्वरीय अपेक्षाओं और इच्छाओं के प्रति जागरूक होना।

नमस्ते मित्रों। रविवार की सुबह उनका नाम- गुणगान और वस्तु-विचार कर के मज़ा ही आ जाता है। पता नही क्यों पर अब रविवार की सुबह तो थोड़े से प्रयास से ही मन प्रभु में लीन हो जाता है।

हम सब ईश्वर के अंश हैं, उनकी शक्ति, शांति और समृद्धि के प्रतीक हैं। बल, बुद्धि और प्रेम से भरे हुए हैं। हम अपने मन, कर्म और विचारों के स्वामी हैं। हर परिस्थिति की कुंजी हमारे पास है। हम ही स्वयं के दोस्त हैं और दुश्मन भी। हमारे और ईश्वर के अलावा कोई और नहीं है। ये सब सनातन सत्य हैं। आप ये जानते हैं न 🤔?

इसीलिये अगर कोई दुःख तकलीफ है तो जानो कि आप ही कारण हो। कोई और नहीं। अगर इस जीवन में कुछ भी आप पाना चाहते हो, बदलना चाहते हो तो उसका सृजन करना होगा – फसल काटनी होगी, बीज बोने होंगे। स्वादिष्ट आमों की अपेक्षा है, तो आम के बीज बोने होंगे। आप नीम के बीज बोए चले जाओ और आम पाने की आकांक्षा किए जाओ और बीच बीच में संसार को, अपने सगे सम्बन्धियों और परमात्मा को दोष दिये जाओ, ये नही चलेगा और इससे कुछ होगा भी नही 🤭।

आप ये सब बातें जानते ही हैं। लेकिन आप इसके बारे में कभी सचेत नहीं होते हैं। और बस वही हो के – बन के रह जाते हैं जो आपके आस पास हर पल में हो रहा है या जो ज्यादातर दूसरे कर रहे हैं – केवल आसान सी दिखने वाली चीजें। ये भूल जाते हैं कि हम यहां दिव्य को खोजने, दिव्य बनने और अपने भीतर के छुपे हुए दिव्य को प्रकट करने के लिए आये हैं। यही हमारे जीवन का प्रमुख उद्देश्य है और ईश्वरीय इच्छा भी।

यह लेख और अन्य सभी बातें केवल आपको इन सत्यों को याद दिलाने, आपको नींद से जगाने और व्यावहारिक रूप से आपके भीतर की कमियों (और जमा हो गये कचरे) को कम करने के लिए ही हैं। क्योंकि जैसे-जैसे आप सचेत होते हैं, वैसे-वैसे सकारात्मकता आपके भीतर प्रवाहित होने लगती है।फिर इसके लिए फिर अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए अपने अस्तित्व, सृष्टि, सनातन सत्यों और ईश्वरीय विधान और उनकी हमसे जो अपेक्षायें और इच्छाएँ हैं उन सबके बारे में जागरूक होने का निरंतर प्रयास ही हमारी प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आप जल्द ही अनंत से जुड़ जाएं, जल्द ही आपके भीतर दिव्यता का अनावरण हो जाए और वो रोजमर्रा के जीवन में आपकी वाणी, व्यवहार और आचरण से प्रकट होने लगे।

आपके उत्तम स्वास्थ्य और प्रसन्नचित मनोदशा की मंगलकामनाओं के साथ-साथ मैं आज उनसे ये भी प्रार्थना करता हूँ कि आपके सभी दिन सृजनशीलता, उत्पादन और उपलब्धियों से भरें हों तथा रात्रि सुखद हों। मंगल शुभकामनाएं 🙏🏼

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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