रविवारीय प्रार्थना – पाखंड और आडम्बर से बचकर अपने पुरुषार्थ पर जोर देना।

कई बार जीवन की चुनौतियों और विफलताओं से घबराकर अज्ञानतावश हम अंधविश्वास और पाखंड का सहारा ले लेते हैं। क्षणिक लाभ के लिए हम दिखावे और चमत्कारों में विश्वास करने लगते हैं और भूल जाते हैं कि सच्चा सुख, सफलता और ईश्वर की प्राप्ति केवल पुरुषार्थ से ही प्राप्त हो सकती है।

याद रखिये की मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ बनाने, दुर्लभ वस्तुओं को प्राप्त करने, आत्मोन्नति करने और दैवीय कृपा प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग पुरुषार्थ ही है। भाग्य भी केवल पुरुषार्थी व्यक्तियों का साथ देता है। अतः, हर परिस्थिति में हमें अटूट पुरुषार्थ करते रहना चाहिए।

पूजा पाठ, भक्ति, दान-पुण्य करना अच्छा है, लेकिन यह दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए, स्वयं को और दूसरों को धोखा देने के लिये नही होना चाहिये। सच्चा पुण्य वही है जो सच्चे मन और भावना से किया जाए। सतत पुरुषार्थ, पुण्य कर्मों, सद्विचारों, साधुता और सदाचार से ही ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है, अन्य कोई मार्ग नही है। 

इसीलिये मेरा मानना है कि जानते समझते हुए, लालच वश या अज्ञानता की वजह से किसी भी रूप में क्षुद्रता से जुड़ने की बजाय, अपने स्वयं के भीतर के विराट स्वरूप से जुड़ना और उसे स्वीकारना तथा उसी के अनुरूप जीवन जीना सच्ची प्रार्थना है। दिखावे और पाखंड से दूर रहकर, निरंतर चिन्तन, विवेक और सकारात्मकता के साथ, पुरुषार्थ (पुण्य कर्म) करना तथा मधुर वाणी और सकारात्मक विचारों को बनाए रखना ही प्रभु की सर्वोत्तम प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना है कि आपके पुण्य कर्म, आपकी संकल्प-निष्ठा और सकारात्मकता आपके दैनिक व्यवहार एवं गतिविधियों से सदा झलकती रहे तथा न सिर्फ आप अपने पूर्वजों द्वारा किये गये पुण्य कार्यों को आगे बढा पाने में सफल हों बल्कि दूसरों के पुण्यों के संचय में भी निमित्त बन पायें।

उनसे ये भी प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं श्री संपन्न रहें तथा आपके समग्र लक्ष्य जल्द ही सिद्ध हों जायें। आपके आनंद में झूमते जीवन के लिए मंगल शुभकामनाएं 🙏

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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