रविवारीय प्रार्थना – चेतन से सचेतन की यात्रा।

हम सब एक ही धरती पर, एक ही जीवन जी रहे हैं। अपनी-अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम कर्म करते हैं, सुबह-शाम प्रभु का नाम भी लेते ही हैं, और फिर रातों में सारी चिंताएं भूलकर सो जाते हैं। यह सब कर्म, पुरुषार्थ, प्रार्थना, ध्यान और वैराग्य का ही मिश्रण है। जाने-अनजाने में हम वो सब करते ही हैं जो हमारे लिए ज़रूरी है, लेकिन क्या हम इन सबको सचेत रूप से, खुशी-खुशी कर रहे हैं? यही है आज के इस रविवारीय लेख का विषय है।

जीवन का हर पल अनमोल है, अनंत संभावनाओं से भरा है। अपनी क्षमताओं, ऊर्जा और समय का सदुपयोग करते हुए, प्रतिबद्धताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार तथा जीवन के उन्नयन, उत्कर्ष हेतु शुभ संकल्पित रहते हुए शुभ कर्म करना ही सच्ची प्रार्थना है। अधिकारों से ज़्यादा कर्तव्यों को महत्व देना, जीवन को परमात्मा का अनमोल उपहार समझकर जीना, यही सच्ची प्रार्थना है।

हर मुस्कुराहट परमात्मा के प्रति कृतज्ञता है, और व्यग्र रहना, क्रोधित रहना, दुखी रहना उनसे एक शिकायत। हँसना, खेलना, नाचना, आनंद में रहना, उत्सव मनाना प्रार्थना है। इसीलिये सकारात्मक विचार, अनुशासन, उत्कृष्टता, दिव्यता से युक्त जीवनशैली तथा परमात्मा के सुमिरन-भजन के लिए कुछ समय हर रोज़ अवश्य निकालना ही सच्ची प्रार्थना है।

हर रात जब हम सोते हैं, चाहे अनजाने में ही सही, थोड़ा वैराग्य तो होता ही है। जुनून हो या किसी बात की चिंता हो तो तो नींद कँहा आती है। रोज़ रात का यह वैराग्य ही तो हमें अनासक्ति का अभ्यास कराता है। याद रखिये की जब हम सचेत रूप से, सहज भाव से, अहंकार, हिंसा, क्रोध, कामनाओं से मुक्त होकर राग-द्वेष से परे रहते हैं, तो हमें अपने अविनाशी आत्मस्वरूप का बोध होता है। बस यही सचेतनता, सजगता और नियमित प्रयास ही तो सच्ची प्रार्थना है।

स्मरण रहे कि ईश्वरीय अनुग्रह तो सदैव आपके साथ हैं। बस हर चीज जो आप करते हैं, अगर आप उसे शुभ और एक सचेतन प्रक्रिया बना लेंगे, तो आप एक धन्य जीवन जी पायेंगे।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आप की ये चेतन से सचेतन की यात्रा शुरू हो जाये और सर्वदा मंगलमय बनी रहे। आपके सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं ऊर्जा संपन्न जीवन के लिए ढेर सारी मंगल शुभकामनाएं 🙏🏼

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।

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