रविवारीय प्रार्थना – अपनी कबूतरी चेष्टाओं, रावण जैसे घमण्ड और मूर्खताओं से बाहर आकर अपने भीतर के शून्य को स्वीकार करना।

आज हम बात करेंगे एक ऐसे अनुभव की जो हर किसी के जीवन में कभी न कभी आता ही है – अज्ञात का अनुभव। वह क्षण जब हम सब कुछ जानने का दावा करने के बावजूद, अंदर ही अंदर महसूस करते हैं तथा स्वीकार करते हैं कि ‘मुझे नहीं पता कि अब मुझे क्या करना चाहिए’।

जब हम सच्चे मन से ये स्वीकार कर लेते हैं कि “मुझे नहीं पता”, जब हम अपने अज्ञान को स्वीकार कर लेते हैं, तो हम सीखने के लिये, बदलने के लिये, कुछ नया करने में लिये और ज्ञान प्राप्त करने के लिए सही मायने में खुल जाते हैं। याद रखिये की जब हम अपनी सीमाओं को स्वीकार कर लेते हैं, तब ही हम अनंत के लिए खुलते हैं।

आज, मैं आपको आमंत्रित करता हूं कि आप अपने भीतर के शून्य को सच्चे मन से स्वीकार करें। यह शून्य ही वह जगह है जहां से आप एक नए महान व्यक्ति के रूप में उभर सकते हैं, जंहा आप अपनी उच्चतम संभावनाएं और क्षमतायें पहचान और उजागर कर सकते हैं।

कभी-कभी सिर्फ “मुझे नहीं पता” मानना या कहना भी एक प्रार्थना हो जाती है। क्योंकि ये हमारे मिथ्या अहंकार को तोड़ देती है और हमें ईश्वरीय शक्ति के प्रति समर्पित कर देती है। दिल की गहराई से निकले ये भाव ईश्वर तक पहुंच जाते हैं।

आज अपने आराध्य प्रभु जी के सामने बैठ कर ये महसूस करें कि आप उन के दिल तक पहुंच गए हों, अपना सारा भार उनके सीने पर रखकर सच्चे मन से कहें कि “मुझे नहीं पता अब क्या करूं… और पूरी उम्मीद और उनमें पूरा विश्वास रख कर सब कुछ उनके हवाले करने की कोशिश करें फिर देखें कि क्या होता है।

जब आप अपने आराध्य देव से कुछ इस तरह से प्रार्थना करते हैं कि आपको तो कुछ पता नही है लेकिन आपके प्रभु को सब पता है, वे सब कुछ जानते हैं और कि आप को उन पर पर पूरा पूरा भरोसा है – ये मनोभाव, ये प्रार्थना उनकी कृपा और आशीर्वाद को आकर्षित करने में सहायक होते हैं है।

याद रखें, आप कभी भी अकेले नहीं हैं। ये सारा ब्रह्मांड आपकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार है। बस जरूरत है अपनी मूर्खता, पाखण्ड, कबूतरी चेष्टाओं और रावण जैसे घमण्ड से बाहर आने की तथा दिल को खोलकर सच्चे मन से अपने आराध्य देव में विश्वास करने की। याद रखिये की अपने अपने आराध्य देव की प्रेम और भक्ति के साथ नित्य पूजा करने और अपना धर्म समझ कर निरन्तर शुभ कर्मों को करने वालो की सब कहि अनकही प्रार्थनाओं एवं निवेदन स्वीकार होते हैं।

आज मैं अपने आराध्य प्रभु जी से प्रार्थना करता हूँ कि आपकी शुभइच्छाएँ पूर्ण हों, आपके प्रयास और शुभ कार्य लगातार पूर्ण हों तथा फलित हों, आपका मन प्रसन्नचित्त और शांत रहे, आपकी सकारात्मक ऊर्जा एवं आध्यात्मिक समझ में दिन प्रति दिन बढ़ोतरी हो और आप एक नए समय चक्र में प्रवेश करें।

इन्ही सब कामनाओं के साथ मेरे प्रभु से आज ये भी प्रार्थना है कि आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके लिये शुभ समाचार लाये, नई खुशी, अच्छा स्वास्थ्य, आनंदोत्सव और भव्य सफलता लाये।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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