Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
मैं आज एक बार फिर आपको हमारे सनातन धर्म के अनुसार, मनुष्य जीवन के परम लक्ष्य की याद दिलाना चाहता हूँ। ये लक्ष्य हैं – अपनी अंतर्निहित शक्तियों और संभावनाओं को उजागर करना, अपने सर्वश्रेष्ठ संस्करण तक पहुंचना, पुण्य संचय करना और इस बार भगवत प्राप्ति करना। और मैं यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि यह सब प्राप्त करना बहुत ही सरल है।
हमारे सनातन धर्म में मनुष्य जीवन के इन लक्ष्यों और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इतने सरल मार्ग बताए गए हैं कि कोई भी उन्हें प्राप्त कर सकता है। यदि हम इतने साधन संपन्न, समझदार और बुद्धिमान होते हुए भी समय रहते अपने उच्च लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो यह दुर्भाग्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
मैंने जो समझा और पढ़ा है, उसके अनुसार किसी भी सत्संग या हरिकथा का सही अर्थ आत्मबोध ही है। हर धार्मिक ग्रंथ और हर हरि कथा उपदेशात्मक होती है और हमें सिखाती है कि जन्म से ही हमें जो अनंतता अर्जित करने की सामर्थ्य प्राप्त है, उसे आत्मबोध द्वारा कैसे प्राप्त किया जाए।
आज का यह रविवारीय लेख भी आपको आत्म-साक्षात्कार के इस सरल मार्ग की याद दिलाने के लिए है। यह याद दिलाने के लिए है कि हमारा ब्रह्म सत्यस्वरूप तभी प्रकट होगा, हमें अपनी अनंतता तभी प्राप्त होगी और हमारी चेतना परमात्मा से तभी जुड़ पाएगी, जब हम अपने भीतर अज्ञानता वश इकट्ठी हो गई कुरूपता को वापस सुंदरता में, अनुपयोगिता को उपयोगिता में, अपूर्णता को पूर्णता में, असंतोष को संतोष में, खिन्नता को प्रसन्नता में, अज्ञान को ज्ञान में, नकारात्मकता को सकारात्मकता में, अविश्वास को विश्वास में, अस्थिरता को स्थिरता में, क्रोध को करुणा में और अहंकार को विनम्रता में परिवर्तित कर लेंगे। और यही इस जीवन का परम सौभाग्य भी होगा।
याद रखिये की सौभाग्यशाली जीवन का यही मूल मंत्र है: चेतना, प्रखरता, एकाग्रता, और आत्म-जागरूकता। इसे सदैव स्मरण रखना और इसी पथ पर अग्रसर रहना, यही हमारी सर्वोच्च प्रार्थना है।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि जल्द ही आपके मन में, बुद्धि में, विचारों, संकल्पों, कार्यों में और दृष्टिकोण में परिवर्तन और शुद्धता आये जिससे आपके मुख्य लक्ष्य प्राप्त हो सकें, आपकी उच्चतर संभावनाएं और श्रेष्ठताएं प्रकट हो सकें और आपको शाश्वत आनंद और भगवदीय अनुग्रह की प्राप्ति हो सके।
आप सदा स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहें, इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आपको प्यार भरा नमस्कार।
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।
