Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
आप जो सच में सोए हुए हैं, या जो जागने का नाटक कर रहे हैं, या जो असल में जग गए हैं—आप को प्यार भरा नमस्कार 🙏 हमेशा की तरह, आज इस रविवार की सुबह, जब बाहर का तापमान थोड़ा सुहावना हुआ है, तो फिर से एक आसान सवाल और फिर उसका जवाब, मेरे अपने अंदाज़ और समझ के अनुसार ….
आज का सवाल आप दुनिया को जितना दिखा रहे हैं, जितना बता रहे हैं – क्या वास्तव में आपके पास उतना है? या उससे कम है? यह सवाल बस इस इसलिए कि उम्मीद है ये आपको अपने भीतर झाँकने और अपनी सच्चाई का सामना करने के लिए प्रेरित करेगा 🤪
आप अक्सर मानते हैं और कहते भी हैं, “मैं ज्ञानी हूँ” लेकिन असल में तो आपके भीतर ज्ञान का दीया बुझा पड़ा है, बस धुआँ निकल रहा है— जो सिर्फ़ दूसरों की ही नहीं, स्वयं की भी आँखें जला रहा है 🤫 आप रह-रह कर चिल्लाते हैं, “मैं इतना शक्तिशाली हूँ, उतना शक्तिशाली हूँ, इसको जानता हूँ, उसको जानता हूँ” और भीतर ही भीतर एक मासूम सी छिपकली भी आपको डरा देती है. सच बताना, डरा देती है न? 🤫🤫
आप ऐसे दिखाने की कोशिश भी करते हैं जैसे कि आप दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति हैं, जबकि आपको भी पता है, न सिर्फ़ जेब से बल्कि दिल दिमाग से भी कितने कंगाल हैं आप 🤭। ये कैसा अजीब नाटक है? जो बस चल रहा है और चले ही जा रहा है, और कोई फ़ायदा भी नहीं हो रहा इससे!
और विडंबना तो यह है कि होना तो यह चाहिए कि आपके भीतर दिव्य शक्ति, ज्ञान, शांति और आनंद का वास्तविक खजाना हो, और आप कबीर की भांति एक फ़कीर के रूप में दिखें और रहें। लेकिन आप इसका ठीक उलटा कर रहे हैं। आप बाहर से दिखावा कर रहे हैं, चमचमाते बोर्ड से अपनी दुकान सजा रहे हैं, जबकि भीतर आप की दुकान पूरी तरह से खाली हैं, अपना दिवालियापन छुपा रहे हैं। वाह रे मेरे नासमझ दोस्त, यह कैसी अक्लमंदी है। यह कैसी दौड़ है जिसमें आप ख़ुद को ही हरा रहे हैं?
और फिर दुनिया भर से पूछते रहते हो कि ये इतनी चिंताएँ, ये भय, ये दुःख… कहाँ से आते हैं? स्वर्ग से टपकते हैं क्या? नहीं, ये आपकी अपनी “बुद्धि की चालाकियाँ” हैं, आपका अपना पाखंड है, अहंकार है। आप अज्ञानवश लोभ लालच पाखंड में ऐसे डूब चुके हो जैसे कोई कीड़ा शहद में 🤭।और फिर रोते हो कि जीवन अशांत क्यों है? भाई मेरे, आपकी सारी मुसीबतें आपके आने व्यवहार, आपके विचारों की देन हैं। आप अपने ही जाल में फँसे पड़े हो और परमात्मा तथा दुनिया पर इल्ज़ाम लगाते हो। वाह।
ये जो आप व्यर्थ के आडंबरों में अपनी ऊर्जा फूँक रहे हो ना, ये सब बेकार है। ये दिखावा आपको कुछ नहीं देगा, सिवाय खालीपन के। अगर कुछ पाना है, तो भीतर झाँको। अपने सद्गुणों को इकट्ठा करो, जैसे कोई बच्चा कंचे इकट्ठा करता है। खुद को निखारो, जैसे कोई हीरा तराशा जाता है। बस यही समझ और प्रयास प्रार्थना है। व्यर्थ के आडंबरों से मुक्त होकर, अपने सद्गुणों के संचयन और आत्मविकास की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहना ही प्रार्थना है।
मैं एक बार दुबारा स्पष्ट कर दूँ कि मैं कोई गुरु वुरु नहीं हूँ, न ही मेरे पास आपको देने के लिए कोई शिक्षा, सिद्धांत या कोई विशेष ज्ञान ही है। मेरा प्रयास केवल आपको जगाना है, और खुद को भी यह याद दिलाना है कि आप और मैं स्वयं ही उस आनंद और परमात्मा के स्रोत हैं, जिसे हम बाहर खोज रहे हैं। असल में, परमात्मा और परमानंद तो आपकी प्रतीक्षा में हैं, हम ही अपनी व्यर्थ की उलझनों के कारण देर कर रहे हैं 🤫।
मुझे आशा है कि एक दिन मेरे ये शब्द आपकी आँखों पर ठंडे पानी की तरह पड़ेंगे और आप जाग जाएँगे – आत्म-साक्षात्कार होगा, दुखों से मुक्ति मिलेगी और परमात्मा की प्राप्ति होगी।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि जो विद्या-विभूति, यश-वैभव, साधन संपन्नता और लौकिक-पारलौकिक अनुकूलताएँ आपको उपहार स्वरूप पहले से ही प्राप्त हैं, उनमें कभी कमी न आए। बल्कि, उनकी कृपा और आपके शुभ कर्मों तथा सद्व्यवहार के कारण उनमें दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो।
आप सदा स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और आपका आने वाला हर नया दिन शुभ और मंगलमय हो इन्हीं सब शुभकामनाओं के साथ आप को एक बार पुनः प्यार भरा नमस्कार 🙏🏼
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।
