रविवारीय प्रार्थना – अपने आस-पास जिंदा ईश्वरों को खोजना और अपने भीतर के ईश्वरत्व को जागृत करना।

आज एक प्रश्न मेरे मन को छू गया, और मैं इसे आज के रविवारीय चिंतन में आपके साथ साझा कर रहा हूँ: क्या सृष्टि के रचयिता ने केवल एक ही बुद्ध (या कोई भी ज्ञानवान/अवतार) को हमारे आने से पहले इस धरती पर भेजा होगा? क्या हज़ारों वर्ष पूर्व आए उन अवतारों और महापुरुषों के बाद कोई और अवतार, दिव्य और जागृत आत्मा इस दुनिया में आई ही नहीं होगी 🤔?

अगर यही आपकी धारणा है, या सोच है तो ये केवल आपमे मानसिक दिवालियापन की निशानी है। ईश्वर आज भी, अभी भी किसी न किसी रूप में हमारे बीच मौजूद होगा? जिसने इस संसार को हज़ारों साल पहले बुद्ध को दिया, क्या उसने उसके बाद दूसरे बुद्ध बनाने बंद कर दिये होंगे। नही। बिल्कुल नही।

सच तो यह है कि परमात्मा एक शाश्वत, निरंतर प्रवाहित होती हुई चेतना है, जो हर क्षण, किसी नए माध्यम से स्वयं को प्रकट कर रही है। कठिनाई यह है कि हम मूढ़तावश, पाखण्ड में पड़ कर या अहंकार वश अपने परमात्मा को, उनके गुण धर्मों को और उनके आदर्शों के सार तत्व को आज किसी जीवित स्वरूप में देख ही नही पा रहे हैं या देखना ही नही चाहते हैं। यदि आपको किसी पुराने बुद्ध से सचमुच प्रेम है या उनमें किंचित मात्र भी श्रद्धा है तो उनकी झलक को आज किसी जीवित मनुष्य में खोजिए। परमात्मा नित-नूतन है; वह अपनी ऊर्जा को हर पल नया शरीर दे रहा है। यह धारा अनवरत बहती रहती है—एक मार्गदर्शक विदा होता है, तो कहीं दूसरा प्रेरक जन्म ले लेता है। यह सिलसिला कभी टूटता नहीं।

मुझे पूरा विश्वास है कि अगर आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे की कोई न कोई बुद्ध, दिव्य आत्मा और उनका अवतार किसी न किसी रूप में आपके आस-पास ही होगा। पहचानिये उन लोगों को जिनके पास बैठने से: आपका बुझा हुआ दीप फिर से जल उठता हो। आपको सुकून और शांति का अनुभव होता हो। आपके मन से स्वार्थ और अहंकार कम हो जाता हो। इस मिट्टी की देह में जो स्वर्ण छुपा है, उसकी ख़बर लगने लगती हो।

ईश्वर के गुण क्या हैं? दया, शांति, सच्चाई और करुणा। अपने आस पास उस व्यक्ति को खोजिए जिसमें आपको ये गुण सबसे ज़्यादा दिखते हों और अवगुण सबसे कम, जिसके शब्द, कर्म आपके दुःख कम करते हों और आनंद देते हों, जिसकी वाणी में संयम हो, और व्यक्तित्व में प्रेम की सुगंध। शायद उन्हे पहचानना और उनसे जुड़ना ही हमारे लिये एक प्रार्थना हो।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि हम सब अपने-अपने आराध्य प्रभु का नाम अहोभाव (कृतज्ञता) से जपते हुए, अपने आस-पास जिंदा ईश्वरों को खोज पाएँ, और जल्द ही अपने भीतर के ईश्वरत्व को भी जागृत कर पाने में सफल हों।

आपके स्वस्थ और आनंदपूर्ण जीवन की कामना के साथ, आज उनसे ये भी प्रार्थना है कि आपका हर नया दिन नई-नई  खुशियों और उपलब्धियों से रोशन होता रहे। मंगलशुभकामनाएँ 💐

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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