Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
जब मैं रविवार की सुबह सनातन सत्यों और अध्यात्म पर लिखता हूँ, तो मेरा उद्देश्य केवल आपको प्रेरित करना नहीं, बल्कि उन महान ग्रन्थों के पीछे छिपे लॉजिक और जीवन-उद्देश्यों को टटोलना भी होता है। आज महाभारत की उस विचित्र बात का विश्लेषण साझा कर रहा हूँ जिसने मुझे लंबे समय तक झकझोर कर रखा। उम्मीद है यह मंथन आपको ऊपरी तौर पर दिखने वाली स्थितियों और परिस्थितियों के पार देखने की एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा…✌️
मेरे मन में अक्सर यह सवाल आता था कि क्यों परमात्मा ने एक तरफ सौ-सौ कौरव पैदा होने दिए, जो संख्या में भी बड़े थे और संसाधन में भी, और ऊपर से इतने घोर अधार्मिक? और फिर दूसरी तरफ केवल पांच बेचारे पांडव, जिन पर धर्म निभाने और बचाने की भी पूरी जिम्मेदारी थी 🤭। इसे शुरू से ही एक ‘One-sided’ मैच जैसा क्यों रखा गया? क्यों इस गणित को इतना ‘Unfair’ रखा गया? आखिर क्या ज़रूरत थी इस विचित्र समीकरण की? ये उल्टा भी तो हो सकता था, या दोनों की गिनती तो बराबर-बराबर हो ही सकती थी 🙊?
हैरानी तब और बढ़ जाती है जब हम देखते हैं कि कौरवों को इतनी ताकत और सत्ता भी दे दी गई कि उन्होंने पूरी महाभारत में पांडवों की नाक में दम करके रखा। कभी उन्हें आग में झोंकने की कोशिश की, कभी सालों वनवास में दर-दर भगाया गया, और हद तो तब हो गई जब उन्हें अपनी पहचान छुपाकर ‘अज्ञातवास’ में रसोइया या दासी बनकर रहने के लिए मजबूर कर दिया गया। कई बार सवाल आता है कि ईश्वर अपनों के साथ ही ऐसा क्यों करते हैं? वाकई, अजीब लीला – खेल हैं उनके 🤫।
लेकिन महान विचारकों, लेखकों, गुरुओं और इन ग्रन्थों का मत स्पष्ट है – ईश्वर अक्सर आपको कठिन परीक्षाओं में इसलिए डालते हैं क्योंकि सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है। अगर पांडव महलों के आराम में ही रहते, तो अर्जुन कभी दिव्य अस्त्र पाने के लिए मेहनत, कठोर साधना – तपस्या नहीं करते। जैसा कि मैं अक्सर कहता हूँ— “हममें खुद को और दुनिया को हैरान करने की क्षमता होती है”, लेकिन वह क्षमता अक्सर तभी बाहर आती है जब ‘कंफर्ट जोन’ की दीवारें टूटती हैं और परिस्थितियाँ हमें अज्ञातवास में जाने को मजबूर करती हैं। तभी आप उस ‘योग्यता’ या पात्रता तक पहुंच पाते हो जंहा आप अपने भीतर के उस ‘अर्जुन’ को खोज सको जिसे तुम खुद नहीं जानते और पहले से हर जगह मौजूद कृष्ण (ईश्वर) को पहचान सको। उन सब का मानना है कि कष्ट केवल ‘प्रारब्ध’ नहीं बल्कि ‘प्रशिक्षण’ भी है, तैयारी भी है और खोज भी है।
आज के इस लेख का सार: जीवन में अगर आपके सामने असंख्य चुनौतियाँ खड़ी हैं और आपके पास कम से कम संसाधन हैं और ऐसा लगने लगे कि परमात्मा आपके साथ घोर अन्याय कर रहा है, तो मुस्कुराइए, इसका मतलब है कि ईश्वर ने आपके लिए एक बहुत बड़ा ‘Surprise’ प्लान कर रखा है। बस शर्त एक ही है—जैसे पांडवों ने कृष्ण को पहचाना और चुना, आप भी भीड़ को छोड़कर, सब शकुनियों को छोड़ कर, अर्जुन बन – बोध, विवेक, सत्य और कृष्ण को अपना सारथी बना लें। बस इस आज की बात, इस सूत्र का असली मतलब समझने का प्रयास और इस समझ को हर परिस्थिति में बनाये रखना ही प्रार्थना है।
मेरी अपने आराध्य प्रभु जी से आज यही प्रार्थना है कि जिस प्रकार वे हर क्षण, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पांडवों के मार्गदर्शक, रक्षक और सारथी बने रहे, सदैव आपके साथ भी रहें। आज का यह दिन उनमें अडिग आस्था और यथार्थ के गहन बोध से भरा हो। यह दिन आपके भीतर के ‘अर्जुन’ को जाग्रत करे, ताकि आप अपने भरम, आलस्य, भय और हीनता को त्याग कर, अपनी चेतना और जीवन को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकें ✨
आप स्वस्थ रहें और जीवन में श्रेष्ठ करने का तथा श्रेष्ठता को प्राप्त करने का कोई भी अवसर आपसे कभी न छूटे इसी मंगलकामना के साथ, प्रेम भरा नमस्कार 🙏
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।
