Manifestation • Mindset • Abundance • Blessings Your future self has brought you here. Time to Align, Attract & Evolve, Now🦸
हर रविवार मैं आपके साथ उन विचारों और बातों को साझा करता हूँ, जिन्हें मैंने पढ़ा और सुना है या जो जितनी मेरी समझ में आई हैं। मेरे लगातार लिखने के केवल दो ही कारण हैं: पहला, यह मुझे पूर्ण रूप से आनंदित करता है; और दूसरा यह कि कौन जाने, मेरी लिखी कोई छोटी सी बात कब किसके भीतर एक बड़ी क्रांति का बीजारोपण कर दे और उनके जीवन को नई दिशा दे दे। क्योंकि बदलाव अक्सर बड़े संकल्पों से नहीं, बल्कि एक छोटे से सही विचार से ही शुरू होता है।
आज के लिए बस इतना ही विचार कि जिस युग में संसार भर का ज्ञान हमारी मुट्ठियों में बंद है और वह ज्ञान जिसे प्राप्त करने में ऋषियों का जीवन बीत जाता था, आज हमारी स्क्रीन पर उपलब्ध है – तब यह आत्म-चिंतन आवश्यक हो जाता है कि क्या यह ज्ञान या सूचना आ भंडार हमें शांति दे रही है या मानसिक कोलाहल? क्या यह हमें बेहतर बना रहा है या बदतर? क्या ये हमें अर्जुन बना रहा है या दुर्योधन 🙊🤣🤫
क्योंकि सब ज्ञान होने के बावजूद भी अगर आप दुर्योधन की तरह चतुर चालक स्वार्थी और अधर्मी शकुनि को ही चुनते हैं न कि अर्जुन की तरह कृष्ण को, तो फिर इस ज्ञान की प्रचुरता का और आपके इतना बुद्धिमान होने क्या ही लाभ है?
इसीलिये मेरा मानना है की गीता के श्लोक या अन्य सभी धर्मग्रंथों में लिखी गयी बातें केवल भगवान को ही सुनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि हमें जगाने के लिए, वे सूत्र अपने जीवन मे आचरण और व्यवहार में उतारने के लिये कहे या लिखे गये हैं। मैं भी कोशिश में लगा हुआ हूँ। उम्मीद है आप भी इस प्रयास में आज से ही जुट जाएंगे 🏃
मेरा यह भी मानना है कि ईश्वर कहीं दूर आसमान में नहीं, बल्कि आपके भीतर के सुकून, प्रेम और उस असली खुशी में हैं जो आपको कुछ अच्छा करने से प्राप्त होती है। वे उस निर्मल और ‘वर्तमान’ पल में हैं, जो अहंकार, चालाकियों, बीती हुई कलह और अतीत के बोझों से पूरी तरह आजाद है। सच तो यह है कि अपनी जागरूकता को बढ़ाना और अपने ‘मेंटल हेल्थ’ को ठीक करने का निरंतर प्रयास ही असल में उस ईश्वर के करीब लाता है।
और यह प्रयास सिर्फ एक बार नहीं करना है, बल्कि इसे हर रोज़, हर पल जीना है—तब तक, जब तक कि परम सत्य का बोध न हो जाए; जब तक जीवन अहोभाव और प्रेम से लबालब न भर जाए। हमें तब तक खोज जारी रखनी है जब तक आनंद का वह असली स्रोत न मिल जाए, जिस पर ध्यान लगाते ही सुकून मिले, खुशी आए और सब कुछ सार्थक लगने लगे। यह प्रयास तब तक करना है जब तक भीतर की सारी ऊहापोह और उथल-पुथल पूरी तरह शांत न हो जाए। वास्तव में, यही सच्ची प्रार्थना है।
मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि उनकी उपस्थिति और उनकी कृपा का अनुभव आपको शीघ्र ही होने लगे। वे आपको साहस और प्रेरणा दें—ताकि आप अपने भीतर झाँककर अपने मन को और अधिक निर्मल और सशक्त बना सकें, और बाहर वे पुण्यकर्म कर सकें जो आपको सच्चा आनंद दें जिससे आने वाले साल में आप वह सब पा सकें जिसे पाने की आपकी अभिलाषा है, वहां पहुँच सकें जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं और जल्द ही वह बन सकें जो बनने का आपने स्वप्न देखा है।
आपके भीतर जो भी श्रेष्ठ है, वह आने वाले दिनों में और अधिक निखरकर सामने आए। इसी मंगलकामना के साथ, आपको सप्रेम नमस्कार 🙏 🙏
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।
