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ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः॥
इस श्लोक के माध्यम से मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वो हम सब पर अनुग्रह करें जिससे कि हम झूठ, मूर्खता, आडम्बर और मोह माया के जाल से निकल कर अपने जीवन की यथार्थता, सम्भावनायें, सचाई और वास्तविकता को पहचान सकें।
मेरी उनसे ये भी प्रार्थना है कि हमारे भीतर का अंधकार खत्म हो जाये और न सिर्फ हमारे अंतरतम में दिव्य प्रकाश की ज्योति जल उठे, बल्कि अपनी ज्योति से हम कुछ दूसरों के भी दीपों को प्रज्वलित कर पायें। हमारे शुभ संकल्प और प्रयास अत्यधिक सफल हों जिससे सभी प्रकार के अभाव, मानसिक और शारीरिक दुर्बलतायें, सभी प्रकार की अपर्याप्तता खत्म हो जाये और समस्त सुख-सुविधा, साधन-सम्पन्नता, सफलता, सन्तोष तथा पूर्ण संतुष्टि प्राप्त हो सके।
मैं आज प्रभु से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि हम सब अमर हो जायें यानी के हमारे द्वारा किये गए शुभ कर्म, कार्य, विचारशैली और सोच इतिहास के पन्नों में दर्ज हों जाये और सदियों तक याद किये जायें, दोहराये जायें और आने वाली पीढ़ियों को सदा सदा प्रेरित करते रहें।
आप सभी को शतायु, स्वस्थ एवं सार्थक जीवन के लिये ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं 💐
