परमात्मा की प्राप्ति कैसे सम्भव हैं।

अगर नमस्कार करने में भी हाथ पहले कौन जोड़े, ये विचार क्षण भर के लिए भी आपके मन मे आ रहा है तो आप कुछ भी इसे समझे – ये सिर्फ अहंकार है और कुछ भी नही।

और जब आप सबकुछ जानते-समझते हुए भी अपने अहंकार को लादे हुए गलत दिशा में यात्रा कर रहे हैं तो फिर परम् को कैसे प्राप्त करेंगे। कुछ भी रट लें, कोई भी कथा हर दिन कह लें या सुन लें, किसी भी प्रकार से कोई सी भी प्रार्थना कर लें, कंही पहुंचना सम्भव नही है, उनको पाना बिल्कुल सम्भव नही है।

विचारों और व्यवहार में जब तक विनम्रता और पवित्रता उत्पन्न नही होगी तब तक परम् की प्राप्त नही होगी। याद रखिये की उच्च आचरण, आत्मीय व्यवहार, मधुर स्वभाव, सकारात्मक सोच, निरंतर शुभ प्रयास और शुद्ध मन से की गई प्रार्थनायें ही परम् की, शुचिता तथा शुभता की प्राप्ति करवा सकती हैं।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आप जल्द ही सहज, सरल, विनम्र, सौम्य और मृदभाषी हो जायें, आपकी दिव्यता-उत्कृष्टता और आपका पूरा दैवीय-सामर्थ्य जल्द ही जाग्रत हो जाये।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की आपके सभी मंगल कार्य सदैव सफल हों, आपके घर-आंगन में सदैव शुभता और मांगल्य की वर्षा होती रहे तथा आपके उत्साह, आनंद और उल्लास में तेजी से वृद्धि हो।

आप को शतायु, स्वस्थ और सशक्त जीवन के लिये ढेरों ढेर मंगल शुभकामनाएं 🙏

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