प्रार्थना

बाहरी और भीतरी दोनो ही ब्रह्माण्ड सदा सदा से जादुई चीजों से भरे हुए थे और आज भी हैं जो धैर्यपूर्वक हमारे कोलाहल के शांत होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी अकर्मण्यता, मूर्खता, घमण्ड, निरंकुशता और व्यग्रता समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी बुद्धि के तेज होने की और मन के सकारात्मक होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। असल मे तो हमारे जागने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

इसीलिये स्वंय को जगा लेना, अपने को सुधारना, अपने को बनाना और बढ़ाना, अपने को सक्रिय करना, क्रियाशील और सार्थक बना लेना भी एक मायने में प्रभु की प्रार्थना है। स्वंय को विनम्र, सरल और सहज बना लेना भी उन्हीं की प्रार्थना है।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आपके कार्य, सोच, कथन सब के सब आपकी आत्मा को ऊपर उठाये, आपको अपने ब्रह्माण्ड यानी के आपके अस्तित्व की विशालता और महानता की गहराई में डूबने में मदद करें, आपके अपने दिव्य ख़ज़ानों को ढूंढने और उन्हें बाहर लाने में मदद करें और आपके दैवीय गुणों और शक्तियों को जगाने में आपकी मदद करें।

मेरी उनसे आज ये भी प्रार्थना है की इस बार का दीपावली पर्व आपके जीवन तथा घर आंगन को हमेशा हमेशा के लिये अनन्त आनन्द के प्रकाश और सौभाग्य से आलोकित कर दे। मंगल शुभकामनाएं 🙏

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