रविवारीय प्रार्थना – धर्म को केवल मानना ही नही है बल्कि उसे निभाना भी है।

आज, इस शांत रविवार की सुबह, मैं आपको किसी नई बात या किसी नए ज्ञान की ओर नहीं ले जाना चाहता हूँ, बल्कि उस सत्य की ओर इशारा करना चाहता हूँ जो आपके भीतर ही विराजमान है। सिर्फ और सिर्फ ये याद दिलाना चाहता हूं कि वे सब सिद्धांत, वे सब बातें जो आप पहले से ही जानते हैं कि उत्तम हैं, धार्मिक हैं, आध्यात्मिक हैं, ईश्वरीय निर्देश या उनके कथन हैं, उन्हें अब केवल ग्रन्थों, पुस्तकों में या प्रवचनों में ही सीमित नही रखना है, उन्हें अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना है।

धर्म को तथा धार्मिक नियमों और सिद्धांतों को सिर्फ स्वीकार करना ही नहीं है, बल्कि उन्हें दैनिक जीवन में निभाना भी है। इसीलिये स्वयं का चिंतन, व्यवहार, बातचीत और कार्यों को श्रेष्ठ बनाये रखना और इस बात का ध्यान रखना की भूल से भी कोई निम्नस्तरीय कार्य आपके हाथों से न हो हमारी सर्वोच्च प्रार्थना है।

आज मेरे आराध्य प्रभु जी से यही विनम्र प्रार्थना है कि उनकी कृपा से हम सभी के हाथों से सदैव श्रेष्ठ कर्म ही हों। हम सब सुखी रहें, हम सब रोगमुक्त रहें, प्रतिदिन मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी कभी दुःख का भागी न बनना पड़े।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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