रविवारीय प्रार्थना – इस बात का होश रखना की जीवनरूपी भूमि पर क्या उग रहा है – मीठे आम के पौधे या विषैले धतूरे के??

हम सब जानते हैं कि ये जीवन हमें उपहार स्वरूप एक उपजाऊ भूमि के टुकड़े की भांति कुछ अवधि के लिये बटाई पर मिला है, उसमें आप क्या उगा रहे हैं? सुंदर फूल-वूल या फिर… कुछ भी नहीं (हो सकता है कि बंजर ही छोड़ रखी हो)? और हाँ, पूरी संभावना है कि, अगर आप देखोगे तो, उसमें सारे नही तो कुछ तो जरूर ऐसे कसैले फल ज़रूर लटक रहे होंगे जो किसी काम के नहीं, या फिर कुछ जहरीले पौधे भी पनप रहे होंगे। आखिर, चुनाव तो आपका ही था और है, है ना 🤣?

अब ये मत कहिएगा कि आपकी ज़मीन बाकी सब के मुकाबले खराब थी या पानी में कोई कमी थी। अरे भाई, ये तो साफ बात है कि जो भी अच्छा बुरा दिख रहा हैं, वो उस मिट्टी का नहीं हैं जो आपको बटाई पर मिली है, और न ही उस मुफ्त की ऊर्जा और पानी का दोष है जो उसे सींच रहा है। ये तो सरासर आपकी सोच, इच्छा और ‘मेहनत’ का नतीजा है कि उसमें क्या उग रहा है (अगर कुछ उग भी रहा है, तो 🤣)। ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मुझे अच्छी तरह पता है कि ज़्यादातर लोग तो अपनी इस कीमती ज़मीन को या तो खाली छोड़ देते हैं, या फिर उसमें ऐसी खरपतवार पनपने देते हैं जिसका कोई मतलब नहीं। है न 🤔

इसे ध्यान पूर्वक समझ लीजिये – अस्तित्व हम सबको समान रूप से जीवन की ऊर्जा प्रदान करता है, ठीक वैसे जैसे सूर्य अपनी रोशनी हर पौधे को देता है – बिना किसी भेदभाव के। वह यह तय नहीं करता कि आप अपनी इस जीवनरूपी भूमि पर मीठे आम के बीज बोओगे या विषैले धतूरे के।🤫 चुनाव पूरी तरह से आपका है। यह आप पर निर्भर करता है कि आपने कौन से विचार रूपी बीज चुने और किस प्रकार के कर्म रूपी खाद से उन्हें पोषित किया।

यदि आपकी इस अत्यंत ही कीमती और उपजाऊ भूमि पर रसीले और मीठे फलों की बजाय बबूल या धतूरे जैसे कड़वे, कसैले, अवांछित या विषैले वृक्ष उग आए हैं, तो भाग्यविधाता को दोष मत दो, न ही किसी बाहरी शक्ति को कोसने का कोई अर्थ है। सत्य तो यह है कि आप स्वयं ही अपनी इस जीवनरूपी भूमि के कर्ता-धर्ता हो। आपका ही चुनाव और कर्म निर्धारित करते हैं कि इस पर कैसे फल लगेंगे।

इसीलिये मित्र, आँखें खोलो, अगर खोल सको तो 🤭 होशपूर्वक जीना शुरू दो… यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस करके देखो। जितना भी यह ‘अनमोल’ जीवन बचा है, उसमें इस शानदार और इतनी उपजाऊ ज़मीन पर कुछ ढंग का उगाया जाए? कुछ छायादार, कुछ फलदार – आखिर कब तक धूप में झुलसते रहोगे और कड़वे या जहरीले फल खाते रहोगे या खिलाते रहोगे 🤫?

और वह जो खरपतवार उग आयी है – उसे उखाड़ फेंको। मेहनत लगेगी। और वे जहरीले पौधे… हाँ, हाँ, वे जो आपने बड़े शौक से (या गलती से 🤫) लगाए थे – उन्हें भी बाय-बाय बोलो! उनकी जगह कुछ मीठा, कुछ रसीला लगाओ। आप लगा सकते हो। क्या ख्याल है 🌱

तो मेरा आज का ‘स्पष्ट’ आह्वान है (वैसे तो आप इन सब बातों को सदियों से सुन ही रहे हो 🤫): “सम्हल जाओ”। यह दुर्लभ जीवन, हाँ वही जो आप फ़ालतू की बातों में बर्बाद कर रहे हो, एक ‘अनमोल अवसर’ है। इसे यूँ ही मत जाने दो। अपनी भीतर की ‘उपजाऊ’ भूमि को पहचानो (अगर उसमें कुछ उपजाऊ बचा हो तो 🤔), और उसमें कुछ ढंग के वांछित बीज बोओ। तभी शायद आपके जीवन का वृक्ष आपके संसार को कुछ मीठे फल दे पाए, और आपको पता चले कि ‘वास्तव में जीना’ किसे कहते हैं। वरना तो… कड़वे फल और काँटे ही नसीब होंगे आपको भी और आपके अपनो को भी 😪

देखें कि आप हर दिन किस प्रकार के बीज बो रहे हैं। क्या आप प्रेम, करुणा और शांति के बीज बो रहे हैं? या लगातार क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मकता के?

बस, इस metaphor की गहराई को पूरी तरह से आत्मसात कर लेना ही प्रार्थना है। यह समझ रोम-रोम में समा जाए, सोते-जागते यह बोध भीतर स्थिर रहे कि आप स्वयं अपने जीवन के बगीचे के माली हैं, कोई और दूसरा नहीं प्रार्थना है। अपने विचारों के बीजों को ध्यानपूर्वक चुनना, अपने शब्दों की सिंचाई को होशपूर्वक देखना और अपने कर्मों के फलों की पूरी जिम्मेदारी लेना ही सही प्रार्थना है। यही आपकी और मेरी सच्ची प्रार्थना होगी – हर पल होशपूर्वक जीना, सजग रहना और सही बीज बोना।

मैं आज अपने आराध्य प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि आपको यह स्पष्ट दिखाई देने लगे कि ईश्वर की ‘करुणा-कृपा’ तो सर्वत्र व्याप्त है, ठीक वैसे ही जैसे सूरज की रोशनी। लेकिन यह आपके होशपूर्ण कर्मों और प्रेमपूर्ण हृदय से ही आपकी धरती में प्रवाहित होकर उपयोगी, मीठे, सुगन्धित और स्वादिष्ट एवं रसीले फल-फूलों को जन्म देगी।

आपके उत्तम स्वास्थ्य, प्रसन्नचित मनोदशा और समृद्ध जीवन की कामनाओं के साथ-साथ मैं आज उनसे यह भी प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन की दैनिक क्रियाओं में अधिक स्नेह, प्रेम, गर्मजोशी, जागरूकता, सकारात्मकता, सहजता और सरलता का उदय हो जाये जिससे की सभी असाध्य, असंभव और दुर्गम से प्रतीत होने वाले कार्य सुगम, संभव और साध्य बन जायें। मंगल शुभकामनायें।

श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।।

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