प्रार्थना

मेरे विचार में प्रार्थना स्वार्थ पूर्ति का कोई साधन नही है। ये तो खुद के भीतर सोयी हुई समझ, सामर्थ्य, ऊर्जा तथा छिपे हुऐ देवतत्व को जागृत करना है।

प्रार्थना का मतलब है सहज, सरल एवं शांत हो जाना। प्रार्थना का मतलब है अपने वचनों को मधुर, व्यवहार को शिष्ट तथा कर्मों को श्रेष्ठ बना लेना। प्रार्थना का अर्थ है की आपकी बातों, आचरण और कार्यों से न तो आपको और न ही किसी दूसरे को चोट लगे या अपमान हो।

आने वाला हर दिन परमात्मा की याद- आनंद से भरा रहे तथा आपकी सकारात्मकता, आपकी प्रसन्नता एवं ऊर्जा आपके चारों तरफ खुशियों में बढ़ोतरी करे तथा सभी औरों के जीवन में आशा की लौ जगाएँ – यही मेरी प्रार्थना है। सभी प्रेमपूरित हृदयों को प्रणाम 🙏

मंगल शुभकामनाएं 💐

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