Tag: ईश्वर

रविवारीय प्रार्थना – अपने आस-पास जिंदा ईश्वरों को खोजना और अपने भीतर के ईश्वरत्व को जागृत करना।

आज एक प्रश्न मेरे मन को छू गया, और मैं इसे आज के रविवारीय चिंतन में आपके साथ साझा कर रहा हूँ: क्या सृष्टि के रचयिता ने केवल एक ही बुद्ध (या कोई भी ज्ञानवान/अवतार) को हमारे आने से पहले इस धरती पर भेजा… Continue Reading “रविवारीय प्रार्थना – अपने आस-पास जिंदा ईश्वरों को खोजना और अपने भीतर के ईश्वरत्व को जागृत करना।”

रविवारीय प्रार्थना – स्वयं के व्यवहार, विचारों, अनुभवों का लगातार अवलोकन करना और साक्षी भाव को मजबूत करना।

आज फिर रविवारीय माथापच्ची और फिर किसी गहरी बात को समझने और समझाने का दिन है। हम सबने सुना है कि परमात्मा हमारे भीतर ही है किसी तत्व की भांति। पर वो ईश्वरतत्व है या नही हम नही जानते और नही जानते कि उसे… Continue Reading “रविवारीय प्रार्थना – स्वयं के व्यवहार, विचारों, अनुभवों का लगातार अवलोकन करना और साक्षी भाव को मजबूत करना।”

रविवारीय प्रार्थना – स्वयं अपने हाथों से अपने दुर्भाग्य का निर्माण क्यों करना?

दोस्तो हमारा जीवन पहले से ही एक युद्ध है- संघर्ष है। स्वयं के साथ – परिस्थितियों के साथ तरह तरह के संघर्षों और युद्धों को रोजमर्रा के जीवन मे हर कोई लड़ ही रहा है। यंहा कौन है जिसका जीवन किसी न किसी संघर्ष… Continue Reading “रविवारीय प्रार्थना – स्वयं अपने हाथों से अपने दुर्भाग्य का निर्माण क्यों करना?”

प्रार्थना

वे सब रावण ही तो हैं जो कई कई चेहरे ले कर और अपने झूठ को गर्व से माथों पर सजाए घूम रहे हैं। हम सबने सुना है कि रावण के दस सिर थे। मगर लोग तो जाने कितने चेहरे लिये घूम रहे हैं… Continue Reading “प्रार्थना”

ईश्वर जो सदा से प्रकट हैं, जो सब जगह मौजूद हैं। क्या आप उन्हें पहचानते हैं?

ईश्वर तो सदा से प्रकट हैं, सब जगह मौजूद हैं। जो पहले से प्रकट है वो और अधिक क्या प्रकट होंगे। हाँ, ये हो सकता है कि अभी आप उन्हें पहचानते नहीं हो। जिस किसी को भी आपके भीतर सम्भावनायें, अच्छाई दिखाई दे रही… Continue Reading “ईश्वर जो सदा से प्रकट हैं, जो सब जगह मौजूद हैं। क्या आप उन्हें पहचानते हैं?”

केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।

आपको केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही। जो आप से आज और अभी हो सकता है बस उसे अपनी पूरी लगन, ताकत और प्रतिबद्धता से करना है। बाकी ईश्वर देखेंगे। खुद को जीवंत करना है, आनंदित, खुश और धन्य करना है, अपनी… Continue Reading “केवल सम्भव को सम्हालना है, असम्भव को नही तथा वही फैलाना है जो हममें है।”

अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।

ज्यादातर बातों और घटनाओं को लेकर अगर आप खुद को शांत और सहज रखते हैं तो आपको अपनी आत्मा की आवाज सुनने लगती है, ईश्वर की आवाज सुनने लगती है और आप को उस बात और घटना के लिए मार्गदर्शन और हल प्राप्त हो… Continue Reading “अपनी मूँछों पर ताव देकर अपनी शेखी बघारने और प्रतिक्रिया देने की बजाये, स्वयं की और उनकी आवाज सुनना और समझना, सफलता की गारंटी है।”

प्रार्थना

मेरे विचार में परमात्मा का एक अर्थ है हमारे अपने अस्तित्व की ऊर्जा, हमारा आनन्द, प्रेम एवं आंतरिक सौंदर्य, शक्ति, कौशल तथा हमारा बुद्धत्व, जो हम सब में समाहित है। जिसे हम बहकने की वजह से, मूर्खता, अहंकार या शायद उलझनों के कारण जान… Continue Reading “प्रार्थना”

सकारात्मक सोच, प्रसन्न चित्त और प्रगति की दिशा में सदैव सक्रिय बने रहना ही अंततः आपके सुख, शांति और सद्गति का कारण बनेगा।

एक बात आपको हमेशा याद रखनी होगी कि आपका स्वास्थ्य, आपकी सेहत, आपकी सांसे, आपका जीवन और आपकी सफलता सिर्फ आपके इरादों, लगन, मेहनत और निरन्तर किये गए शुभ प्रयासों पर ही निर्भर करती है और किसी चीज़ पर नही। मेरी या किसी अन्य… Continue Reading “सकारात्मक सोच, प्रसन्न चित्त और प्रगति की दिशा में सदैव सक्रिय बने रहना ही अंततः आपके सुख, शांति और सद्गति का कारण बनेगा।”

प्रार्थना

मनुष्य जीवन ईश्वर का अनुपम उपहार है। मुझे नही लगता कि उनके पास इससे बड़ा कोई अनुदान या उपहार हो सकता है आपको देने के लिए। आपको इतनी विशेषताएं, बुद्धि, सामर्थ्य, क्षमता और सम्भावनायें दी गयी हैं कि अगर वो सब किसी दिन सामने… Continue Reading “प्रार्थना”